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CMSED Form RDCP Form Review
Introduction – सी. एम. एस. ई. डी. ग्रामीण स्वास्थ्य शिक्षण संस्थान लखनऊ (उ० प्र०)
  • संचारी रोग जैसे- मलेरिया, टाय़फायड, डायरिया, डिसेन्ट्री, हैजा, चेचक, खसरा, टी.बी.,पेचिस आदि संक्रामक बिमारियों की उचित समय पर पहचान, निदान न हो पाने के कारण महामारी का रुप ले लेती है। ऐसी बिमारियों का प्राथमिक स्तर पर पहचान, निदान, रोकथाम एंव बचाव हेतु कार्य करना जिससे बिमारियों को महामारी का रुप लेने से पहलें ही रोका जा सकें।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में अचानक से किसी दुर्घटना के कारण पीड़ित व्यक्ति का A.B.C. नियम का पालन करतें हुए प्राथमिक स्तर पर प्राथमिक चिकित्सा देते हुए उनकी शरीरिक क्षतियों एंव तकलीफो को कम करने हेतु कार्य करना।
  • भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने हेतु दी जा रही सुविधाओ का लाभ आम-जन तक पहुँचाने हेतु कार्य करना।
  • एंटीबायोटिक्स दवाइयों के बिना चिकित्सक परामर्श से सेवन करने पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारें में आम-जन को जानकारी देना।
  • ग्रामीण समुदाय Rural Community में विभिन्न स्वास्थ्य सम्बन्धी बिमारियाँ/समस्याएं जैसे- पेट में मरोड़, रक्तश्राव, बच्चो में फ्लू, बुखार, खाँसी, बलगम में खून आना, चक्कर आना, सर्दी जुकाम, थकान, बेहोश होना, फ़ूड पोइस्निंग, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, दर्द, जहर विषक्ता, सर्प दंस, उल्टी होना, साँस लेने में कठिनाई, डूबना, दस्त, पेट में जलन, नासूर, दम घुटना, बिजली का झटका लगना, सिर की चोट, अचानक दुर्घटना, पेचिस, दिल का दौरा आदि जैसी विभिन्न बिमारियाँ/सम्स्याओं का प्राथमिक स्तर पर पहचान, निदान, बचाव एंव रोकथाम, नही होने के कारण ये गम्भीर रुप ले लेती है और आगे चलकर यह बिमारी लाइलाज अथवा जानलेवा साबित होती है। CMS&ED डिप्लोमा धारक (Rural First aid Provider) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली इस प्रकार की विभिन्न बिमारियों/समस्याओं को प्राथमिक स्तर पर पहचान, निदान, रोकथाम एंव बचाव किया जा सकता है। जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाया जा सकें।
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