जन-समुदाय को प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल का असमान बँटवारा होना देशवासियों के स्वास्थ्य स्तर के कमजोर होने का एक प्रमुख कारण है | भारत गाँवों का देश है तथा यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में तथा 20 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। इसके विपरीत केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सेवाओं का लगभग 80 प्रतिशत भाग शहरी क्षेत्रों तक सीमित है। इनका केवल 20 प्रतिशत हिस्सा ही ग्रामीण तथा दूरवर्ती क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों तक पहुँच पाता है । इसका परिणाम यह निकलता है कि ग्रामीण क्षेत्रो में निवास कर रहे लोग इन स्वास्थ्य सेवाओं से लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। कई क्षेत्रों में ग्रामीण लोग आज भी रोगों के उपचार हेतु देशी नीम-हकीमों या दैवीय शक्तियों का सहारा लेते हैं।इसके अलावा हमारे देश में रोगों के निदान एवं उपचार हेतु उपयोग में ली जाने वाली पद्धतियाँ मुख्य रूप से अंग्रेजी चिकित्सा पर आधारित है जो कि तुलनात्मक बहुत मंहगी है। निम्न आयवर्गीय परिवारों द्वारा इसका खर्च उठा पाना थोड़ा मुश्किल है। स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पतालों में चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, ए.एन.एम. पैरामेडीकल स्टाँफ आदि की संख्या भी उपचार हेतु आने वाले रोगियों की संख्या के अनुपात में नहीं है जो कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के क्रियान्वयन में बड़ी बाधा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि आज भी स्वास्थ्य संबधी अनेक समस्याओं ने हमे जकड़ा हुआ है जो कि हमारे देश के विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल होने में एक बड़ी बाधा बनी हुई है। हमारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य समस्या में एक प्रमुख समस्या चिकित्सा देखभाल की समस्या है।रुरल हेल्थ फाउंडेशन नई दिल्ली चिकित्सा देखभाल की समस्या को खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में कम करने हेतु ग्रामीण रोग नियंत्रण, रोकथाम एंव जागरुकता कार्यक्रम का स्वतः संचालन कर रही है, उक्त कार्यक्रम के अन्तर्गत फांउडेशन CMS&ED प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के माध्यम से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अनुभवी इच्छुक लोगों को Emergency Rural Health Worker (आपातकालीन ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मी) का तीन माह का दूरस्थ प्रशिक्षण के माध्यम से निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उक्त प्रक्षिक्षण के माध्यम से फाउंडेशन ग्रामीँण क्षेत्रो में प्राथमिक उपचार, मलेरिया, टाइफायड, मधुमेह, एन्टीबायोटिक्स दवाइयों का दुष्प्रभाव, टीकाकरण, परिवार नियोजन, आदि महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण देकर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने हेतु कार्य कर रही है।
कोर्स विवरण -
कोर्स का नाम - ग्रामीण रोग नियन्त्रक (Rural Disease Controller & Preventer)
अवधि – 3 माह
योग्यता – इंटरमीडिएट उत्तीर्ण
माध्यम – दूरस्थ प्रशिक्षण(हिन्दी)
परीक्षा – ऑनलाइन (स्वकेन्द्र)
फीस विवरण-
Reg. | 250/- |
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Admission | 500/- |
I-Card | 100/- |
Monthly | 1000/- |
Exam | 600/- |
Total Fee | 4450/- |
पाठ्यक्रम -
नोट- स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े अभ्यर्थियों के लिए यह प्रशिक्षण है | इच्छुक अभ्यर्थी मात्र 250/- रजिस्ट्रेशन शुल्क एवं 2250/- शुल्क जमा कर प्रशिक्षण हेतु नामांकन करा सकते है | अन्य क्षेत्र से जुड़े अभ्यर्थियों के लिए फीस माफी की सुविधा उपलब्ध नहीं है उन्हें प्रशिक्षण हेतु पूरी फीस 4450/- जमा करनी होगी |