फिशर – Anal Fissure
फिशर क्या है?
गुदा या गुदा नलिका में जब किसी प्रकार का कट या दरार बन जाती है, तो उसे फिशर या एनल फिशर (Anal fissures) कहा जाता है। फिशर अक्सर तब होता है, जब आप मल त्याग के दौरान कठोर और बड़े आकार का मल निकालते हैं। फिशर के कारण आमतौर पर मल त्याग करने के दौरान दर्द होना और मल के साथ में खून भी आता है।
फिशर के दौरान आपको अपनी गुदा के अंत में मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है। फिशर छोटे बच्चों में काफी सामान्य स्थिति होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। फिशर की ज्यादातर समस्याएं सामान्य उपचारों से ठीक हो जाती हैं, जैसे खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा ज्यादा लेना और सिट्ज बाथ (Sitz bath) लेना। फिशर से ग्रस्त कुछ लोगों को मेडिकल मदद की आवश्यकता पड़ सकती है और कभी-कभी सर्जरी करवाने की आवश्यकता भी पड़ जाती है।
एनल फिशर के प्रकार – Types of Anal Fissure
फिशर के कितने प्रकार हो सकते हैं?
फिशर के सामान्य तौर पर दो प्रकार होते हैं:
तीव्र (Acute) – त्वचा की ऊपरी सतह पर छेद या दरार को एक्यूट फिशर कहा जाता है।
दीर्घकालिक (Chronic) – अगर त्वचा की सतह पर हुआ छेद या दरार ठीक ना हो पाए, तो समय के साथ-साथ क्रॉनिक फिशर विकसित होने लगता है।
एनल फिशर के लक्षण – Anal Fissure Symptoms
फिशर के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?
गुदा में फिशर के लक्षण व संकेतों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
मल त्याग के दौरान दर्द, कभी-कभी गंभीर दर्द होना।
मल त्याग करने के बाद दर्द होना जो कई घंटों तक रह सकता है।
मल त्याग के बाद मल पर गहरा लाल रंग दिखाई देना।
गुदा के आसपास खुजली या जलन होना।
गुदा के चारों ओर की त्वचा में एक दरार दिखाई देना।
गुदा फिशर के पास त्वचा पर गांठ या स्किन टैग दिखाई देना।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए –
निम्न समस्याएं होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए:
मल त्याग के दौरान दर्द होना।
मल त्याग करने के बाद मल में खून दिखाई देना।
एनल फिशर के कारण और जोखिम कारक – Anal Fissure Causes & Risks Factors
फिशर के कारण व जोखिम कारक क्या हो सकते हैं?
गुदा व गुदा नलिका की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। ज्यादातर मामलों में यह उन लोगों को होता है, जिनको कब्ज की समस्या होती है। विशेष रूप से जब कठोर व बड़े आकार का मल गुदा के अंदर गुजरता है, तो वह गुदा व गुदा नलिका की परतों को नुकसान पहुचा देता है।
फिशर के अन्य संभावित कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
लगातार डायरिया (दस्त) रहना।
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD), जैसे क्रोहन रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस।
लंबे समय तक कब्ज रहना।
कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण (STI), जैसे कि सिफिलिस या हर्पीस, जो गुदा व गुदा नलिका को संक्रमित और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एनल स्फिंक्टर की मांसपेशियां असामान्य रूप से टाइट होना, जो आपकी गुदा नलिका में तनाव बढ़ा सकती हैं। जो आपको एनल फिशर के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है।
जोखिम कारकों में शामिल हैं:
बचपन (Infancy) – कई शिशुओं को उनके जीवन के पहले साल में ही एनल फिशर हो जाता है।
उम्र बढ़ना – वृद्ध लोगों में रक्त संचार धीमा हो जाता है, जिससे उनके गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह में कमी आ जाती है। जिस कारण से उनमें आंशिक रूप से फिशर की समस्या विकसित हो सकती है।
गर्भावस्था और प्रसव
फाइबरयुक्त आहार का सेवन कम करना।
गुदा में खरोंच लगना।
गुदा और मलाशय में सूजन होना।
मलाशय में कैंसर।
मलत्याग करने के बाद गुदा को कठोरता या अत्याधिक दबाव के साथ पौंछना।
एनल फिशर से बचाव – Prevention of Anal Fissure
फिशर की रोकथाम कैसे की जाती है?
आप कब्ज की रोकथाम करके एनल फिशर विकसित होने के जोखिमों को कम कर सकते हैं। अगर पहले कभी आपको फिशर की समस्या हुई है, तो कब्ज की रोकथाम करना बहुत जरूरी है।
आप निम्न की मदद से कब्ज की रोकथाम कर सकते हैं:
एक संतुलित आहार खाएं, जिसमें अच्छी मात्रा में फाइबर, फल और सब्जियां शामिल होती हैं।
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीएं।
नियमित रूप से व्यायाम करते रहें।
शराब व कैफीनयुक्त पदार्थों (चाय और कॉफी) का सेवन करें।
पाचन तथा आंतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए ये सभी अच्छी बातें हैं, जो कब्ज की रोकथाम करने में मदद करती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप मल त्याग करने के बाद अपने गुदा को धीरे-धीरे पोंछें।
जब शौचालय जाने की इच्छा महसूस हो तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि आंतों को खाली ना करना बाद में कब्ज का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आंतों में जमा होने वाला मल कठोर बन जाता है, जो गुदा के अंदर से गुजरने के दौरान दर्द व गुदा में दरार (खरोंच) पैदा कर कर सकता है।
टॉयलेट में अधिक देर तक ना बैठें और अधिक जोर ना लगाएं। ऐसा करने से गुदा नलिका में दबाव बढ़ता है। अगर आपको कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जो फिशर होने के जोखिम को बढ़ाती है, तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। वे आपसे इस बारे में बात करेंगे कि इस स्थिति को कैसे मैनेज करना है और एनल फिशर होने के जोखिमों को कैसे कम करना है।
एनल फिशर का परीक्षण – Diagnosis of Anal Fissure
फिशर का परीक्षण कैसे किया जाता है?
डॉक्टर आमतौर पर गुदा के आस-पास के क्षेत्र की जांच करके फिशर का परीक्षण कर सकते हैं। लेकिन वे परीक्षण की पुष्टी करने के लिए गुदा का भी परीक्षण कर सकते हैं। परीक्षण के दौरान डॉक्टर मरीज की गुदा में एंडोस्कोप (Endoscope) डालते हैं, जिससे वे दरार को आसानी से देख पाते हैं। एंडोस्कोप एक मेडिकल उपकरण होता है, यह एक पतली ट्यूब होती है जिसकी मदद से डॉक्टर गुदा नलिका की जांच करते हैं। एंडोस्कोप के प्रयोग की मदद से डॉक्टर गुदा व गुदा नलिका से जुड़ी अन्य बीमारियों का पता भी लगा सकते हैं, जैसे बवासीर।
इसके लिए अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल है –
एंडोस्कोपी – गुदा, गुदा नलिका और निचले मलाशय की जांच करना।
सिग्मोइडोस्कोपी – बड़ी आंत के निचले हिस्से की जांच करना
बायोप्सी – परीक्षण करने के लिए गुदा के ऊतक का सैंपल निकालना।
कोलनोस्कोपी – कॉलन (बृहदान्त्र) की जांच करना।
एनल फिशर की जटिलताएं – Anal Fissure Complications
फिशर की क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
एनल फिशर किसी गंभीर रोग से जुड़ा नहीं होता, जैसे आंत का कैंसर। हालांकि, एनल कैंसर कई बार एनल फिशर की नकल कर सकता है। एनल फिशर की कुछ संभावित जटिलताओं में निम्न शामिल हैं:
क्रॉनिक एनल फिशर – इसमें फिशर के कारण होने वाली दरारें ठीक नहीं हो पाती। समय के साथ-साथ इसमें फिशर के स्थान पर एक विस्तृत निशान (Scar) वाले ऊतक पैदा हो सकते हैं।
गुदा नासूर (Anal fistulas) – इसमें आसपास के अंगों से (आमतौर पर आंत्र के अन्य भागों से) कुछ असामान्य नलिकाएं गुदा नलिका में शामिल हो जाती हैं।
गुदा स्टेनोसिस (Anal stenosis) – इसमें गुदा की नलिका असामान्य तरीके से संकुचित होने लगती है।
एनल फिशर में क्या खाना चाहिए? – What to eat during Anal Fissure
एनल फिशर के मरीजों को फाइबर में उच्च भोजन का सेवन करने का सुझाव दिया जाता है।
अगर आपको कब्ज है या आपको कठोर, बड़े आकार का और सूखा मल आता है, तो यह फिशर का कारण बन सकता है। अपने आहार में उच्च मात्रा में फाइबर शामिल करना, खासकर फलों व सब्जियों को, कब्ज की रोकथाम करने में मदद कर सकता है।
फाइबर के अच्छे स्त्रोत वाले खाद्य पदार्थों में निम्न शामिल हैं:
गेहूं का चोकर (Wheat bran)।
दलिया।
साबुत अनाज, जिसमें ब्राउन राइस, ओटमील और ब्रेड आदि शामिल है।
मटर और सेम।
बीज और नट्स।
खट्टे फल।