चक्कर आना (Dizziness)
चक्कर आना क्या है?
चक्कर आने को साधारण भाषा में सिर का घुमना कहते हैं, आपके एक जगह स्थिर खड़े या बैठे होने पर भी यह समस्या होती हैं। चक्कर आना एक ऐसी स्थिति है जिसमें हम एक अलग तरह की उत्तेजना, जैसे- बेहोश होना, कमजोरी व अस्थिरता को महसूस करते हैं।
डॉक्टर से मिलने के कुछ सामान्य कारणों में चक्कर आने को भी शामिल किया जाता है। चक्कर आने की स्थिति को कई लोग सही तरह से समझ नहीं पाते हैं, क्योंकि लोग इसको कई अलग तरह के स्थिति के रूप में भी देखते हैं। यह समस्या या तो हल्के सिर दर्द व कमजोरी को दर्शाती है या फिर इसमें व्यक्ति को सब कुछ घुमता हुआ लगता है। ऐसे में आप जब भी डॉक्टर से मिलें, तो इस दौरान महसूस करने वाली सभी बातों को उन्हें खुलकर बताएं। इस स्थिति का पहला व यह सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है, ताकि इसके निदान का पता लगाने व इसके इलाज को सही दिशा दी जा सकें। लगातार चक्कर आना आपके जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।
चक्कर आने के लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं, क्योंकि यह समस्या कई वजह से हो सकती है। चक्कर आने के अंतर्निहित कारणों की पहचान करना हमेशा आसान नहीं होता।
चक्कर आने के प्रकार – Types of Dizziness
चक्कर आने के क्या प्रकार होते हैं?
सिर में हल्के दर्द के साथ चक्कर आना (लाइटहेडडनेस: lighheadedness): इस अवस्था में आपको लगता है कि आप बेहोश हो रहें हैं। आम तौर पर तेजी से उठने व गहरी सांसों को लंबे समय तक लेने से इसका अनुभव हो सकता है।
वर्टिगो: इसमें आसपास की सभी चीजें घूमती हुई लगती है, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। कुछ समय के लिए हुए वर्टिगो में आप खुद को गोल-गोल घूमता हुआ महसूस करते हैं और फिर अचानक यह ठीक हो जाता है।
चक्कर आने के लक्षण – Dizziness Symptoms
चक्कर आने के क्या लक्षण होते हैं?
चक्कर की समस्या को महसूस करने वाले लोग इसे कई संवेदनाओं के रूप में बता सकते हैं, जैसे-
खड़े होने या बैठने पर नियंत्रण खोना।
सिर का एक तरफ झुक जाना।
हल्का सिर दर्द व बेहोशी महसूस करना।
किसी एक स्थिति में बैठने या रहने में मुश्किल होना।
खुद को आगे और पीछे की ओर गिरता हुआ महसूस करना।
नीचे जमीन को देखकर अपनी स्थिति का पता करने की प्रवृत्ति।
बैठे या खड़े होने पर किसी चीज को छुकर या पकड़कर रखने की आदत।
आपके स्थिर होने पर भी आस-पास की सभी चीजें घूमती हुई लगना व चक्कर आना।
आपके चलते समय, खड़े होने या अपने सिर को हिलाने की स्थिति में इसके लक्षण धीरे-धीरे गंभीर भी हो सकते हैं। चक्कर आने पर आपको उल्टी भी हो सकती है। इसके अचानक होने पर आप बैठ या लेट जाएं। चक्कर आने की स्थिति से निकलने के अंतिम पड़ाव में आप धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं।यह परिस्थिति कभी कभी कुछ ही सैकंड में सामान्य हो जाती है तो कभी इसे सामान्य होने में घंटों लग जाते है। साथ ही कुछ ही समय में इसकी पुनरावृत्ति हो सकती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
यदि आपको लगातार चक्कर आ रहें हैं, तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें। इसके अलावा यदि आप नीचे बताएं गए कारणों के साथ अचानक चक्कर आने को अनुभव कर रहें हो, तो भी आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है-
बेहोश होना
छाती में दर्द होना
उल्टी आना
तेज बुखार
दिखाई देने में मुश्किल होना
सुनने में परेशानी होना
सिर पर चोट लगना
सिरदर्द होना
बोलने में कठिनाई
ये सभी लक्षण आपके स्वास्थ्य की किसी गंभीर समस्या की ओर संकेत करते हैं, इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस समस्या के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।
चक्कर आने के कारण और जोखिम कारक – Dizziness Causes Risk Factors
चक्कर के सामान्य कारण हैं-
माइग्रेन: सिरदर्द से पहले या बाद में चक्कर का आना।
तनाव या चिंता: जब आप असामान्य रूप से जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं।
रक्त शर्करा का कम स्तर(लो ब्लड शुगर): यह स्थिति आमतौर पर डायबिटीज के रोगियों में देखी जाती है।
कान का संक्रमण: यह आपके सुनने और संतुलन को बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करता है और ऐसा होने पर लगातार चक्कर आ सकते हैं।
निम्न रक्तचाप(लो ब्लड प्रेशर): रक्तचाप के कम होने पर आपका रक्त मस्तिष्क में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं भेज पाता है। इससे भी चक्कर आते हैं।
स्थिति में अचानक हुए परिवर्तन से कम रक्तचाप होना: आपके अचानक बैठने, खड़े होने या लेटने पर रक्तचाप का कम हो जाना, यह स्थिति मुख्यतः बुजुर्गों में देखी जाती है।
निर्जलीकरण या गर्मी से थकान होना: व्यायाम के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने के कारण निर्जलीकरण हो सकता है। इसके अलावा किसी बीमारी में उल्टी व दस्त होना भी शरीर में पानी की कमी का कारण हो सकता है।
कुछ दुर्लभ, लेकिन संभावित कारण –
कान या सिर पर चोट लगना
आंतरिक कान में ट्यूमर होना
एनीमिया- शरीर में आयरन या विटामिन बी की कमी होना
मस्तिष्क के पीछे के भाग में (वह क्षेत्र जो शरीर के संतुलन को नियंत्रित करता है) रक्त प्रवाह का कम होना। यह हृदय से मस्तिष्क तक आने वाली रक्त वाहिकाओं के अवरूद्ध होने से हो सकता है।
दवाओं के विपरीत प्रभाव के चलते- रक्तचाप और हृदय गति को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
चक्कर आने से बचाव – Prevention of Dizziness
चक्कर आने को कैसे रोकें?
हर काम को धीरे-धीरे ही पूरा करें।
सिर को तेजी से धुमाने से बचें (विशेषकर मुड़ने या घुमाने में)।
शरीर के परिसंचरण पर बुरा असर डालने वाले उत्पाद, जैसे तंबाकू, शराब, कैफीन और नमक का प्रयोग न करें।
तनाव को कम करें और एलर्जी करने वाले पदार्थों से दूर रहें।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
शरीर की किसी भी मुद्रा(उठने, बैठने, चलने व लेटने) में अचानक परिवर्तन करने से बचें।
लेटने की स्थिति से धीरे-धीरे उठें और खड़े होने से पहले कुछ क्षणों के लिए बैठें।
जब खड़े हो, तो सुनिश्चित करें कि किसी चीज का सहारा लेकर ही खड़े हो।
इसके लक्षण महसूस होने पर आप स्थिर रहें व कुछ देर आराम करें।
बार-बार चक्कर आते हों तो आप किसी छड़ी की सहायता लेकर ही चलें।
तेज रोशनी, टीवी से दूरी बनाएं और वर्टिगो की समस्या होने पर पढ़ने से बचें, क्योंकि यह असावधानियां इसके लक्षणों को और भी गंभीर बना सकती हैं।
अचानक हिलने से बचें।
यात्रा करते समय किताबें पढ़ने से बचें।
पिछली सीट में बैठकर यात्रा न करें।
अपनी यात्रा के पहले और यात्रा के दौरान तेज गंध व मसालेदार खाना न खाएं।
कान का संक्रमण, सर्दी होना, साइनस और अन्य सांस संबंधी संक्रमणों का समय रहते इलाज करें।
इस समस्या के लक्षण ठीक होने के 1 सप्ताह के बाद ही आप ड्राइविंग, भारी मशीनरी का संचालन व किसी ऊंची जगह की चढ़ाई कर सकते हैं, इससे पहले इन कामों को करने से बचें। इन गतिविधियों के दौरान अचानक चक्कर आना आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
चक्कर आने का निदान – Diagnosis of Dizziness
चक्कर आने की समस्या का निदान आपके स्वास्थ्य की पिछली स्थितियों, शारीरिक परीक्षण और समस्या की प्रकृति के आधार पर किया जाता है। इसमें निम्न बिंदुओं पर विचार किया जाता है-
यह कब होता है?
इस समस्या में आपके डॉक्टर आपकी आंखों और कानों की जांच के अलावा, न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका संबंधी) परीक्षण, आपके बैठने या खड़े होने के तरीके और इसके दौरान आपके नियंत्रण की स्थिति का भी परीक्षण कर सकते हैं। वहीं इसके कुछ संदिग्ध कारणों के आधार पर इमेजिंग टेस्ट, जैसे- सीटी स्कैन (CT scan) या एमआरआई (MRI) भी किया जा सकता है।
कुछ मामलों में अन्य कारणों की वजह से चक्कर आने के किसी भी सामान्य कारण का पता नहीं चल पाता है।