कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर – Fractured Hip
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर क्या है?
हिप फ्रैक्चर या कूल्हे ही हड्डी में फ्रैक्चर होना एक गंभीर चोट है जिससे घातक जटिलताएं विकसित हो सकती हैं। कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ जाता है।
वृद्ध उम्र में कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर होने के जोखिम अधिक बढ़ जाते हैं क्योंकि उम्र के साथ-साथ हड्डियों में कमजोरी भी बढ़ने लगती है। इसके अलावा वृद्ध लोगों में विभिन्न प्रकार की दवाएं लेना, कम दिखाई देना या शरीर का संतुलन ठीक से ना बना पाने के कारण उनके गिरने या फिसलने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। गिरना या फिसलना कूल्हे में फ्रैक्चर के सबसे आम कारणों में से एक है।
हिप फ्रैक्चर के इलाज में शारीरिक थेरेपी के बाद कूल्हे की जोड़ो की सर्जरी से मरम्मत करना या या रिप्लेसमेंट (बदलना) करना आदि शामिल होता है। हड्डियों को मजबूत बनाना और गिरने व फिसलने आदि जैसी स्थितियों से बचना कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर होने से बचा सकता है।
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर के लक्षण – Fractured Hip Symptoms
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर होने से कौन से लक्षण विकसित हो सकते हैं?
हिप फ्रैक्चर होने से निम्न संकेत व लक्षण महसूस हो सकते हैं:
गिरने या फिसलने के बाद तुरंत हिल-डुल न पाना
जिस तरफ से कूल्हे की हड्डी क्षतिग्रस्त हुई है उस तरफ की टांग छोटी महसूस होना
कूल्हे या ग्रोइन (पेट और जांघों के बीच का भाग) में गंभीर दर्द महसूस होना
अपनी टांग की एक तरफ शरीर का वजन डालने में अक्षमता (जिस तरफ हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है)
कूल्हे के आस-पास सूजन, त्वचा नीली पड़ना व अकड़न महसूस होना
जिस तरफ से कूल्हे की हड्डी क्षतिग्रस्त हुई है उस तरफ की टांग बाहर की तरफ मुड़ जाना
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर के कारण और जोखिम कारक –
Fractured Hip Causes & Risk Factors
हिप फ्रैक्चर क्यों होता है?
गंभीर आघात या दबाव पड़ना, जैसे कार एक्सीडेंट आदि, के कारण कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है। वृद्ध लोगों में हिप फ्रैक्चर अक्सर ज्यादातर गिरने या फिसलने के कारण होता है। जिन लोगों की हड्डियां अत्यधिक कमजोर हो गई होती हैं, उनके एक टांग पर वजन देकर खड़े होने या अचानक से टांग मोड़ने से भी हिप फ्रैक्चर हो सकता है।
जोखिम कारक
निम्न कारकों में कूल्हे के फ्रैक्चर के जोखिम काफी हद तक बढ़ जाते हैं:
आपका लिंग – हिप फ्रैक्चर के तीन-चौथाई मामले महिलाओं में ही होते हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां जल्दी कमजोर होने लगती है क्योंकि महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है जिससे हड्डियां कमजोर होने की गति बढ़ जाती है। हालांकि पुरुषों में भी गंभीर रूप से हड्डियों में कमजोरी आ सकती है जिससे उनमें भी हिप फ्रैक्चर के काफी जोखिम बढ़ जाते हैं।
दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या – थायराइड बढ़ने जैसे कुछ प्रकार के एंडोक्राइन डिसऑर्डर भी हड्डियों को नाजुक बना देते हैं। आंतों संबंधी कुछ विकार जो विटामिन डी और कैल्शियम को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर देते हैं उनके कारण भी हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर होने के जोखिम बढ़ जाते हैं।
कुछ मेडिकल स्थितियां जो मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित करती हैं उनसे गिरने या फिसलने आदि के जोखिम बढ़ जाते हैं। इन स्थितियों में पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक और पेरिफेरल न्यूरोपैथी आदि शामिल हैं।
उम्र – हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती उम्र के साथ-साथ कम कम हो जाती है जिससे हड्डियों के टूटने के जोखिम बढ़ जाते हैं। इसके अलावा वृद्ध लोगों को देखने में और शरीर का संतुलन बनाने में भी परेशानी होने लगती है जिससे गिरने या फिसलने आदि की आशंका बढ़ जाती है।
पोषण संबंधी समस्याएं – युवावस्था में विटामिन डी और कैल्शियम युक्त आहार में कमी होने से आपकी हड्डियों व मांसपेशियों को पूरा पोषण नहीं मिलता। इस कारण वे कमजोर होने लगती हैं जिससे बाद के जीवन में कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर समेत अन्य हड्डियों के फ्रैक्चर होने के जोखिम बढ़ जाते हैं। एनोरेक्सिया और बुलिमिया जैसे भोजन संबंधी विकार भी आपकी हड्डियों को कमजोर कर देते हैं। क्योंकि इन विकारों से ग्रस्त मरीज ठीक से भोजन नहीं खाते और उन पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होते हैं।
शारीरिक रूप से एक्टिव ना होना – चलने या जॉगिंग करने जैसी एक्सरसाइज आपकी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं और गिरने व फिसलने की संभावनाओं की कम करती हैं। यदि आप नियमित रूप से ऐसी एक्सरसाइज नहीं करते तो आपकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
कुछ प्रकार की दवाएं – यदि आप प्रेडनीजोन जैसी कुछ प्रकार की कोर्टिसोन दवाएं लंबे समय से ले रहे हैं तो वे आपकी हड्डियों को कमजोर बना सकती हैं। कुछ प्रकार की दवाओं को लेने से चक्कर आना या सिर घूमना आदि जैसी समस्याएं होने लगती हैं जिनकी वजह से आप गिर या फिसल सकते हैं। कुछ दवाएं जो आपकी केंद्रीय स्नायुतंत्र पर कार्य करती हैं, जैसे नींद की गोलियां, एंटी-सायकोटिक और सीडेटिव दवाएं, इनको लेने से गिरने या फिसलने आदि के जोखिम बढ़ जाते हैं।
ज्यादा सिगरेट या शराब पीना – ये दोनों ही हड्डियां बनने की सामान्य प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
हिप फ्रैक्चर से बचाव – Prevention of Fractured Hip
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है और बुढ़ापे में ओस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करता है। एक स्वस्थ जीवनशैली आपके गिरने या फिसलने आदि की संभावनाओं को भी कम कर देती है और यदि आप कभी गिर जाते हैं तो आपको जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में मदद करती है। गिरने व फिसलने से बचने और अपनी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं:
व्यायाम करें – ऐसी एक्सरसाइज जिनमें आपको अपने शरीर का पूरा वजन संभालना होता है, जैसे चलना व जॉगिंग करना आदि, वह आपकी हड्डियों को कई सालों तक मजबूत बनाए रखने में मदद करती हैं। एक्सरसाइज से आपकी ताकत भी बढ़ती है जिससे आपके गिरने या फिसलने की आशंका भी कम हो जाती है। गिरने या फिसलने की स्थितियों से बचने के लिए बैलेंस ट्रेनिंग (शरीर का संतुलन बनाने की ट्रेनिंग) बहुत जरूरी होती है क्योंकि उम्र के साथ-साथ शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है।
पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी लें – 50 व उससे अधिक उम्र के पुरुषों व महिलाओं को एक दिन में 1200 मिलीग्राम कैल्शियम और 600 IU विटामिन डी लेना चाहिए।
घर को सुरक्षित बनाएं – घर से ऐसे कालीन, पायदान आदि हटा दें जिनपर आप फिसल सकते हैं। बिजली की तारों कों दीवारों से चिपका दें और अतिरिक्त फर्नीचर या अन्य चीजों को हटा दें जिनसे आप ठोकर खा कर गिर सकते हैं।
आंखों की जांच करवाएं – नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाते रहें। यदि आपको डायबिटीज या कोई अन्य आँख संबंधी रोग है तो और नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहें।
अत्यधिक सिगरेट या शराब ना पीएं – तंबाकू और शराब का सेवन से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। अत्यधिक शराब पीने से शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है जिससे आपके गिरने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
दवाओं के साइड इफेक्ट जानें – कई दवाएं हैं जिनका साइड इफेक्ट चक्कर आना या सिर घूमना हो सकता है, जिससे गिरने फिसलने का जोखिम बढ़ जाता है। यदि आपको किसी दवाई से ऐसे साइड इफेक्ट हो रहे हैं तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।
धीरे-धीरे खड़े हों – यदि आप बैठे हुऐ हैं और अचानक खड़े हो जाते हैं तो इससे आपका ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और आपको सिर घूमने जैसा महसूस हो सकता है।
चलते समय छड़ी का इस्तेमाल करें – यदि आप चलते समय खुद को अस्थिर या असंतुलित महसूस करते हैं तो इस बारे में अपने डॉक्टर को बताएं या फिर छड़ी या वॉकर (walker) जैसे सहायक उपकरणों का इस्तेमाल करें।
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर का परीक्षण – Diagnosis of Fractured Hip
डॉक्टर अक्सर आपके लक्षणों के आधार पर और आपकी टांग व कूल्हे की असामान्य पोजीशन को देखकर हिप फ्रैक्चर का पता लगा सकते हैं। आपको हिप फ्रैक्चर है या नहीं यह पुष्टि करने के लिए और यदि है तो कूल्हे की किस हड्डी में और किस जगह पर फ्रैक्चर हुआ है यह जानने के लिए आमतौर पर एक्स रे किया जाता है।
यदि एक्स रे में फ्रैक्चर नहीं पाया जाता लेकिन आपके कूल्हे में दर्द हो रहा है तो डॉक्टर एमआरआई स्कैन या बोन स्कैन करवाने को कहते हैं जिनकी मदद से हड्डी में किसी मामूली फ्रैक्चर का पता लगाया जाता है। ज्यादातर हिप फ्रैक्चर पेल्विस से घुटनों तक जाने वाली लंबी हड्डी की दो जगहों में से किसी एक में होते हैं। पहला इंटरट्रोनकेंटेरिक क्षेत्र (intertrochanteric region)। यह क्षेत्र कूल्हे की हड्डी के वास्तविक जोड़ के ठीक नीचे होता है। जो ऊपरी जांघ की हड्डी से बाहर की तरफ निकला होता है। और दूसरा फेमोरल नेक (femoral neck)। यह क्षेत्र जांघ की हड्डी का ऊपरी भाग होता है जो जांघ की हड्डी के सिरे और सोकेट जोड़ के ठीक नीचे होता है।
कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर की जटिलताएं – Fractured Hip Complications
कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर आपसे आपके जीवन की स्वतंत्रता छीन सकता है और यहां तक की कभी-कभी आपके जीवन को भी छोटा कर सकता है। हिप फ्रैक्चर से ग्रस्त लोगों में से लगभग आधे अपने घूमने-फिरने की क्षमता को वापस पाने में असमर्थ रहते हैं। कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर आपको लंबे समय तक गतिहीन (चल-फिर ना पाना) बना सकता है, इसके अलावा कूल्हे में फ्रैक्चर से निम्न जटिलताएं विकसित हो सकती हैं:
बेडसोर (बिस्तर पर लंबे समय तक पड़े रहने के कारण होने वाले घाव)
मूत्र पथ में संक्रमण
निमोनिया
फेफड़ों या टांगों में खून के थक्के जमना
मांसपेशियों की सघनता और कम हो जाना जिससे गिरने या चोट लगने के जोखिम बढ़ जाते हैं।
इसके अलावा जिन लोगों को पहले कभी कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ है उनकी हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं और उनके गिरने के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। इसका मतलब है कि जिन लोगों को हिप फ्रैक्चर हुआ है उनके गिरने से दोबारा हिप फ्रैक्चर हो सकता है।