हार्ट फेल होना
(Heart Failure)
दिल की विफलता (हार्ट फेलियर, हृद्पात) के कारण कुछ लोगों में हृदय शरीर के अन्य अंगों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। अन्य लोगों में हृदय की मांसपेशियां कठोर और सख्त हो जाती हैं जिस कारण हृदय से रक्त का प्रवाह अवरुद्ध या कम हो जाता है। दिल की विफलता आपके हृदय के दाएँ, बाएँ या दोनों भागों को प्रभावित कर सकता है। यह या तो तीव्र होता है या लंबे समय तक चलता है। दिल की तीव्र विफलता के लक्षण अचानक महसूस होते हैं लेकिन उनका प्रभाव जल्दी ख़तम हो जाता है। यह आमतौर से दिल के दौरे के बाद होता है या दिल के वाल्व (जो रक्त के प्रवाह का नियंत्रण करते हैं), में समस्या के कारण होता है।
दिल की विफलता के कारण आपके हृदय के कक्ष खिंच सकते हैं ताकि वह आपके शरीर के अन्य अंगो तक ज़्यादा रक्त ले जा सकें। यह कुछ समय तक काम करता है लेकिन कुछ समय बाद इससे आपके दिल के दीवारें कमज़ोर हो जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो द्रव आपके हाथों, टखनों, पैरों, फेफड़ों और अन्य अंगों में जमा होने लगेगा। भारत में दिल की विफलता अनुमानित तौर पर लगभग 1% या 80-100 लाख व्यक्तियों को होती है।
हार्ट फेल होने के प्रकार – Types of Heart Failure
हार्ट फेल होने के प्रकार दिल के दाएँ या बाएँ भाग में हो सकती है। आपके दिल के दोनों भाग भी विफलता विफल हो सकते हैं।
दिल की विफलता के प्रकार :-
दिल के बाएँ भाग की विफलता :-
दिल के बाएँ भाग की विफलता, दिल की विफलता का सामान्य प्रकार है। हृदय की बाईं वेंट्रिकल आपके दिल के निचले हिस्से में स्थित है। यह शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रदान करती है। दिल के बाएँ भाग की विफलता तब होती है जब हृदय की बाईं वेंट्रिकल ढंग से रक्त पंप नहीं करती है। इस कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिलता है और फेफड़ों में रक्त जमा हो जाता है जिस कारण सांस लेने में परेशानी होती है।
दिल के दाएँ भाग की विफलता :-
हृदय की दाईं वेंट्रिकल फेफड़ों तक रक्त पहुँचाती है और उनसे ऑक्सीजन लेती है। जब दिल का दायाँ भाग यह कार्य ढंग से नहीं कर पाता है तब दिल के दाएँ भाग की विफलता हो जाती है। दिल के बाएँ भाग की विफलता के कारण फेफड़ों में रक्त जमा हो जाता है जिस कारण दिल के दाएँ भाग को ज़्यादा काम करना पड़ता है। इस दबाव के कारण दिल का दायाँ भाग विफल हो जाता है। दिल के दाएँ भाग की विफलता फेफड़ों की बीमारी के कारण भी हो सकता है।
दिल की विफलता के ओर भी प्रकार होते हैं:
सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure): जब दिल की मासपेशियां सामान्य रूप से संकुचित नहीं होती हैं और शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह कम होता है तो उसे सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic heart failure) कहते हैं।
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर ( Diastolic Heart Failure): जब आपका दिल सामान्य रूप से संकुचित होता है लेकिन आपके हृदय की वेंट्रिकल शिथिल नहीं होती है जिससे आपके हृदय को कम रक्त प्राप्त होता है और आपके फेफड़ों में दबाव बढ़ जाता है। इसके कारण आपके फेफड़ों, पैर, और पेट में द्रव जमा हो जाता है।
हार्ट फेल होने के चरण Stages of Heart Failure दिल की विफलता के निम्नलिखित स्टेज (चरण) होते हैं :
स्टेज ए (A) :- जब आपको दिल की विफलता होने का जोखिम हो, आपको हाई बीपी, मधुमेह, कोरोनेरी धमनियों की बीमारी ( Coronery Artery Disease – CAD) या चयापचय (मेटाबोलिक) सिंड्रोम हो और आपके पास कार्डिओटोक्सिक ड्रग थेरेपी (Cardiotoxic Drug Therapy), शराब पीने, रूमेटिक बुखार, कार्डिओमिओपेथी (Cardiomyopathy) की पारिवारिक बीमारी का इतिहास हो तो आप इस स्टेज में हैं।
स्टेज बी (B) :- यदि आपको कभी दिल की विफलता के लक्षण महसूस ना हुए हो लेकिन आपको सिस्टोलिक लेफ्ट वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन ( Systolic Left Ventricular Dysfunction; हृदय का बायाँ कक्ष ढंग से रक्त पंप ना करता हो) हो और आप दिल के दौरे, वॉल्व की बीमारी या कार्डिओमिओपेथी (Cardiomyopathy) से पीड़ित हैं या थे तो आपको स्टेज बी (B) हो सकता है।
स्टेज सी (C) :- यदि आपको दिल की विफलता है और सांस लेने में तकलीफ, थकान और व्यायाम करने में तकलीफ होती है तो आपको स्टेज सी (C) हो सकता है।
स्टेज डी (D) :- यदि आपको सिस्टोलिक हार्ट फेलियर ( Systolic Heart Failure) है और गंभीर लक्षण महसूस होते हैं तो आपको स्टेज डी (D) है।
हार्ट फेल होने के लक्षण Heart Failure Symptoms
दिल की विफलता के लक्षण इस प्रकार हैं :-
अत्यधिक थकान
अचानक वजन बढ़ना
भूख ना लगना
लगातार खांसी होना
अनियमित पल्स
पल्पिटेशन्स (Palpitations, दिल की धड़कन का असामन्य रूप से तेज़ होना)
पेट में सूजन होना
सांस लेने में परेशानी होना
पैरों और टखनों सूजन में सूजन होना
गर्दन की नसों का उभड़ना
हार्ट फेल होने के कारण- Heart Failure Causes
हार्ट फेल कैसे, कब, क्यों होता है?
कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease) : यह उन धमनियों की बीमारी है जो हृदय को ऑक्सीजन और रक्त प्रदान करती हैं। यदि यह धमनियां अवरुद्ध या संकुचित हो जाएं तो हृदय तक जाने वाले रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और हृदय ढंग से रक्त पंप नहीं कर पाता है।
दिल का दौरा: यदि कोरोनेरी धमनी अचानक अवरुद्ध हो जाए तो हृदय की मांसपेशियों तक जाने वाला रक्त रुक जाता है।
कार्डिओमाइओपेथी (Cardiomyopathy):- हृदय की धमनियों और रक्त प्रवाह से सम्बंधित समस्याओं; संक्रमण; शराब पीने और नशीले पदार्थों का सेवन के कारण हृदय क्षतिग्रस्त हो सकता है। कई और बिमारियों और पारिवारिक समस्याओं के कारण भी दिल की विफलता हो सकती है।
उच्च रक्तचापः उच्च रक्तचाप के कारण हृदय को शरीर में रक्त के प्रसार के लिए सामान्य से ज़्यादा काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण हृदय की मासपेशियां मोटी हो जाती है। इस वजह से हृदय की मासपेशियां सख्त या कमज़ोर हो जाती है और उनके लिए रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है।
हृदय के वॉल्व में समस्या :- आपके हृदय की वॉल्व रक्त प्रवाह को उचित दिशा देते हैं। हृदय की किसी भी समस्या, कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease), हृदय सम्बंधित संक्रमण की वजह से क्षतिग्रस्त वॉल्व के कारण आपके हृदय को अतिरिक्त काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है। क्षतिग्रस्त वॉल्व को रेप्लस या ठीक किया जा सकता है।
मायोकार्डिटिस (Myocarditis) :- हृदय की मांसपेशियों में वायरस के कारण होने वाली सूजन जिससे दिल की विफलता हो सकती है, उसे मायोकार्डिटिस (Myocarditis) कहते हैं यदि आपको जन्म से ही हृदय सम्बंधित कोई समस्या जैसे हृदय के कक्ष या हृदय के वॉल्व में समस्याएं हो तो आपके हृदय के स्वस्थ भागो को रक्त पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है जिस कारण आपके दिल की विफलता हो सकती है।
हृदय की असामान्य धड़कन ( एरिथमिया; Arrhythmia) :- हृदय की असामान्य धड़कन की वजह से दिल के दर का तेज़ होना जिस कारण आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। अधिक समय तक जब ऐसा चलता रहता है तो अतिरिक्त काम करने के कारण आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है और दिल की विफलता हो सकती है। अगर दिल का दर धीमा हो जाए तो आपके हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिलेगा और दिल की विफलता का जोखिम बढ़ जाएगा।
ऐसी समस्याएं जिनके कारण हृदय को ज़्यादा काम करना पड़े जैसे हृदय के वॉल्व की बीमारी, थाइरोइड, गुर्दे के बीमारी और हृदय की बिमारियों की वजह से भी दिल की विफलता हो सकती है। एचआईवी (HIV), ह्यपरथाइरोइडिस्म (Hyperthyroidism), हाइपोथाइरोइडिस्म (Hypothyroidism), हेमोक्रोमैटोसिस (Hemochromatosis; आइरन का संचय) और एमीलॉइडोसिस (Amyloidosis; प्रोटीन का संचय) जैसी बिमारियों के कारण भी दिल की विफलता हो सकती है। ऐसे वायरस जो हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करें, हृदय सम्बंधित गंभीर संक्रमण, एलर्जिक प्रतिक्रिया, फेफड़ों में रक्त के थक्कों, ऐसी दवाइयां या बीमारी जो पूरे शरीर को प्रभावित करें, इन सब के कारण दिल की तीव्र विफलता हो सकती है।
हार्ट फेल होने से कैसे रोकें- Prevention of Heart Failure
दिल की विफलता के जोखिम के कारकों जैसे उच्च रक्तचाप और कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease) को जीवन शैली में बदलाव और दवाइयों की मदद से कम किया जा सकता है। एक स्वस्थ जीवन शैली से दिल की विफलता का उपचार किया जा सकता है और उससे बचा भी जा सकता है। वज़न कम करने से और रोज़ व्यायाम करने से दिल की विफलता के जोखिम को कम किया जा सकता है। अपने भोजन में नमक की मात्रा कम करने से भी आप दिल की विफलता के जोखिम को कम कर सकते हैं।
अपनी जीवन शैली में निम्नलिखित बदलाव लाकर आप दिल की विफलता से बच सकते हैं:-
शराब के सेवन को कम करें।
उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें, स्वस्थ भोजन खाएं और स्वस्थ वजन बनाए रखें। अपनी नींद पूरी करें।
धूम्रपान ना करें।
हाई बीपी और डायबिटीज का नियंत्रण करें।
व्यायाम करें।
तनाव कम करें।
हार्ट फेल होने की जांच- Diagnosis of Heart Failure
दिल की विफलता का निदान करने के लिए डॉक्टर आपका चिकित्सक इतिहास देखेगा। वह दिल की विफलता के जोखिम के कारकों जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease) का भी निदान करेंगे।
वह स्टैथौस्कोप की मदद से देखेंगे की आपके फेफड़ों में जमाव है या नहीं। स्टेथोस्कोप की मदद से यह भी पता चलता है की आपके हृदय का दर सामान्य है या नहीं। वह आपके गले की नसों को देखेंगे और यह भी देखेंगे की आपके पेट और पैरों में द्रव संचय तो नहीं हुआ है।
शारीरिक जाँच के बाद, आपके डॉक्टर आपको निम्नलिखित जाँच करवाने को कह सकते हैं :-
एकोकार्डिओग्राम (Echocardiogram): यह आपके हृदय का वीडियो चित्र लेगा ताकि डॉक्टर आपके हृदय के आकार और आकृति को देख सके और बता सके की आपका हृदय ढंग से पंप कर रहा है या नहीं। एकोकार्डिओग्राम (Echocardiogram) से वॉल्व की समस्याओं, हृदय की ओर समस्याओं, दिल की विफलता के असामान्य कारणों के बारे में भी पता चलता है। इससे यह भी पता चलता है की आपको कभी दिल का दौरा आया है या नहीं |
एकोकार्डिओग्राम (Echocardiogram), नुक्लिअर मेडिसिन टेस्ट (Nuclear Medicine Test), कार्डियक कैथेटराइज़शन (Cardiac Catheterization) और कार्डियक एमआरआइ (Cardiac MRI) से इंजेक्शन फ्रैक्शन (Ejection fraction) को भी मापा जा सकता जिससे यह पता चलेगा की आपका हृदय ढंग से पंप कर रहा है या नहीं।
रक्त की जाँच :- आपके गुर्दे, लिवर और थाइरोइड के कार्य को देखने के लिए आपके रक्त की जांच की जाएगी। रक्त की जाँच से दिल की विफलता का निदान किया जा सकता है।
छाती के एक्स-रे :- एक्स-रे के चित्र से आपके डॉक्टर को आपके फेफड़े और हृदय की स्तिथि के बारे में पता चलेगा। दिल की विफलता के कारण आपके हृदय का आकर बढ़ा दिख सकता है और द्रव संचय भी एक्स-रे में दिखाई देता है।
एलेक्ट्रोकार्डिओग्राम (ईसीजी) (Electrocardiogram (ECG)): इस टेस्ट से आपके हृदय के विद्युतीय (इलेक्ट्रिकल) कार्य के बारे में पता चलता है। इस टेस्ट से दिल की धड़कन से सम्बंधित समस्याओं और दिल के दौरे के कारण हुए हानि की वजह से हुए दिल की विफलता के बारे में भी पता चलता है। इससे यह भी पता चलता है की आपको सिस्टोलिक हार्ट फेलियर ( Systolic Heart Failure) हुआ है या डायास्टोलिक हार्ट फेलियर ( Diastolic Heart Failure) हुआ है।
तनाव के टेस्ट:- तनाव के टेस्ट से पता चलता है की आपका हृदय और रक्त वाहिकाएं थकान से कैसे प्रभावित होती हैं। तनाव के टेस्ट से डॉक्टर को पता चलता है की आपको कोरोनेरी धमनियों की बीमारी (Coronary Artery Disease) है या नहीं और आपका शरीर हृदय के कम रक्त पंप करने से कैसे प्रभावित हो रहा है। यदि आपका डॉक्टर आपके हृदय का चित्र देखना चाहें जब आप व्यायाम कर रहें हो तो वह आपको नुक्लिअर स्ट्रेस टेस्ट (Nuclear Stress Test) या स्ट्रेस एकोकार्डिओग्राम (Stress Echocardiogram) लेने को कहेंगे।
कार्डियक कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन (Cardiac Computerized Tomography (CT) Scan) या मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआइ) (Magnetic Resonance Imaging (MRI)): सीटी (CT) स्कैन आपके हृदय और सीने के चित्र लेता है। कार्डियक एमआरआइ (Cardiac MRI) आपके हृदय के चित्र लेता है।
कोरोनरी एंजिओग्राम ( Coronary Angiogram) :- इस टेस्ट से आपके डॉक्टर को पता चलता है कि आपके शरीर में कौन सी धमनी संकुचित हो गई (कोरोनेरी धमनियों की बीमारी) जिससे दिल की विफलता हो सकती है। इस टेस्ट में वेंट्रिक्युलोग्राम ( Ventriculogram) भी हो सकता है जिससे पता चल सकता है की हृदय के पंप होने की प्रतिक्रिया में कितनी शक्ति है और यह भी पता चल सकता है की हृदय के वॉल्व कितने स्वस्थ हैं।
माइओकार्डियल बायोप्सी (Myocardial Biopsy) :- इस टेस्ट से हृदय की मांसपेशियों की समस्याओं के बारे में पता चलता है जिससे दिल की विफलता हो सकती है।
हार्ट फेल (फेलियर) होने के जोखिम कारक Heart Failure Risk Factors
निम्नलिखित कारणों से दिल की विफलता का जोखिम बढ़ जाता है :-
उच्च रक्तचाप :- यदि आपको उच्च रक्तचाप हो तो आपके हृदय को रक्त पंप करने के लिए ज़्यादा काम करना पड़ता है।
कोरोनेरी धमनियों की बीमारी ( Coronary Artery Disease) :- संकुचित धमनियों के कारण आपके हृदय को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करने में समस्या हो सकती है जिससे हृदय की मासपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं।
दिल का दौरा :- दिल के दौरे के कारण आपकी हृदय की मांसपेशिओं को हुए हानि की वजह से आपका हृदय ढंग से रक्त पंप नहीं कर पाएगा।
मधुमेह :- मधुमेह से दिल की विफलता और कोरोनेरी धमनियों की बीमारी ( Coronary Artery Disease) होने का जोखिम बढ़ जाता है।
दवाइयों के दुष्प्रभाव :- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर, फेफड़ों और अन्य बिमारियों के उपचार की कुछ दवाइयों से दिल की विफलता का जोखिम बढ़ सकता है। इन दवाइयों का उपयोग खुद से बंद ना करें। इस बारे में अपने डॉक्टर से पूँछे। यदि आपको सोते समय सांस लेने में तकलीफ होती हो जिससे आपके रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम होता हो और आपके हृदय का दर असामान्य होता हो तो आपको हृदय की समस्याएं हो सकती हैं और आपका हृदय कमज़ोर हो सकता है।
कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट (Congenital heart defects) :- यदि आपको जनम से ही हृदय की कुछ समस्याएं हो तो आपका दिल विफल हो सकता है।
वल्वुलर हार्ट डिज़ीज़ (Valvular Heart Disease) :- जिन लोगों को वल्वुलर हार्ट डिज़ीज़ (Valvular Heart isease) होती है उन्हें दिल की विफलता होने का जोखिम बढ़ जाता है।
वायरसः वायरल संक्रमण के कारण आपके हृदय की मांसपेशियों को हानि पहुँच सकता है।
शराब और तंबाकू का सेवन करने से दिल की विफलता का जोखिम बढ़ जाता है।
अधिक मोटापे के कारण दिल की विफलता हो सकती है।
जिनके दिल की धड़कन असामान्य हो उनकी हृदय की मासपेशिया कमज़ोर हो सकती है जिससे दिल की विफलता का जोखिम बढ़ जाता है।
हार्ट फेल (फेलियर) होने पर परहेज -What to avoid during Heart Failure
दिल की विफलता में परहेज़ के निर्देश दिल का दौरा में परहेज़ के समान है।
दिल के दौरे से पीड़ित लोगों को निम्नलिखित परहेज़ करने चाहिए।
दिल की विफलता के बाद 2-3 हफ़्तों तक यौन-संबंध ना बनाए ।
धूम्रपान दिल की विफलता का प्रमुख कारण है इसलिए धूम्रपान ना करें। तली हुई सब्ज़ियां या मांस ना खाएं।
सॉफ्ट ड्रिंक (शीतल पेय) या अन्य पेय जिनमें चीनी हो, उन्हें ना पीयें। ज़्यादा नमक वाला भोजन ना खाएं।
सफ़ेद चावल ना खाएं।
हार्ट फेल होने पर क्या खाना चाहिए
दिल की विफलता से पीड़ित लोगों को निम्नलिखित चीज़े खानी चाहिए :-
ताजी सब्ज़ियाँ (जैसे ब्रोकोली, पालक आदि )
खट्टे और ताज़े फल (जैसे संतरे, अनार, अंगूर आदि)
गेहूं का आटा
दलिया
जैतून का तेल, सब्ज़ियों का तेल, कनोला का तेल
मछली
जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी आदि
सोयाबीन के उत्पाद (जैसे सोया मिल्क या टोफू)
बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली आदि
ग्रीन टी