कोमा – (Coma)
कोमा क्या है?
कोमा एक दीर्घकालीन बेहोशी की स्थिति होती है। इसके दौरान व्यक्ति को उसके आसपास के माहौल का कोई पता नहीं होता है। इस स्थिति में व्यक्ति जिंदा तो होता है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह सो रहा है। हालांकि जब एक व्यक्ति आम तौर पर गहरी नींद में सोया होता है तो उसे किसी न किसी तरह से उठाया जा सकता है जबकि कोमा में पड़े व्यक्ति अपने भीषण दर्द के बावजूद भी उस दर्द की तकलीफ तक से नहीं उठ पाते।
कोमा की स्थिति मस्तिष्क पर चोट लगने के कारण उत्पन्न होती है। मस्तिष्क पर चोट दिमाग पर अधिक दबाव, रक्तस्त्राव, ऑक्सीजन की कमी या सिर में विषाक्त पदार्थों के इकट्ठा होने के कारण लग सकती है। इस अवस्था में आप कितने सचेत हैं या कितने जल्दी चीजों को लेकर प्रतिसाद दे पाते हैं यह पूरी तरह से इसी बात पर निर्भर है कि आपका मस्तिष्क कितना काम कर रहा है। कोमा के आम लक्षण हैं आंखें बंद रहना और अनियमित सांस लेना। कोमा के निदान के लिए ब्लड टेस्ट, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और सिर के सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर एक व्यक्ति कुछ दिनों या हफ्तों के लिए कोमा में रह सकता है। समय के साथ, व्यक्ति होश में आने लगता है और सचेत होने लगता है। कुछ मामलों में, व्यक्ति कुछ सालों के लिए भी कोमा में जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति कोमा में जाता है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति है। जान बचाने और दिमाग की कार्यशैली को बंद होने से रोकने के लिए जल्द से जल्द कोमा का उपचार किया जाना जरूरी है।
कभी-कभी डॉक्टर दवाओं कि मदद से कोमा कि स्थिति उत्पन्न करते हैं, जैसे चिकित्सा उपचार के दौरान रोगी को अधिक दर्द महसूस होने से बचाने के लिए या फिर बाहर से लगने वाली चोट जैसे आमतौर पर सिर पर लगी चोट जिसके कारण दिमाग ठीक तरह से काम न करें कि स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को सुरक्षित करने के लिए। अगर एक व्यक्ति कई महीनों से सदैव शिथिल अवस्था में (निष्क्रिय) है, तो उसकी कोमा से बाहर आने की संभावना बेहद ही कम होती है।
कोमा के लक्षण – Coma Symptoms
कोमा में जाने के क्या लक्षण होते हैं ?
कोमा का मुख्य लक्षण है बेहोश होना।
कोमा की स्थिति में व्यक्ति को बाहरी उत्तेजनाओं का कोई आभास नहीं होता और ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह गहरी नींद में है।
कोमा में व्यक्ति स्वाभाविक शारीरिक गतिविधियां कर सकता है।
रोगी असामान्य रूप से कांप व हिल सकता है और उसकी आंखें भी गतिविधि कर सकती हैं।
अगर व्यक्ति गंभीर कोमा की स्थिति में है, शरीर की बेहद आम गतिविधियां जैसे कि सांस लेना तक प्रभावित हो सकता है।
इसके अन्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
आंखें बंद होना।
किसी चीज को लेकर कोई प्रतिक्रया न कर पाना।
अनियमित साँस लेना।
किसी चीज की प्रतिक्रया के सिवाय अंगों में कोई हरकत न होना।
कुछ चुनिंदा मामलों को छोड़कर कुछ दर्दों के प्रति कतई प्रतिक्रया न दे पाना।
आँखों की पुतली की रोशनी के प्रति असंवेदनशीलता।
कोमा एक आपातकालीन स्थिति है और इसके लिए तुरंत डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए।
कोमा के कारण – Coma Causes
कोमा में जाने की वजह क्या होती हैं?
कोमा में जाने की स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है। इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं
मस्तिष्क की चोट: आमतौर पर, सड़क हादसों या हिंसक विवादों में लगने वाली मस्तिष्क की चोट कोमा का मुख्य कारण होती हैं।
स्ट्रोक:
नसों के बंद होने या फटने के कारण मस्तिष्क को पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता है, जिससे कोमा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
ट्यूमर:
ब्रेन ट्यूमर या मस्तिष्क के बीच के भाग में ट्यूमर होने से व्यक्ति कोमा में जा सकता है।
शुगर:
रक्त में शुगर के स्तर का बहुत अधिक या बहुत कम होना भी कोमा का कारण बन सकता है।
ऑक्सीजन की कमी: ऐसे लोग जिन्हें डूबने से बचाया गया है या जिन्हें दिल का दौरा पड़ा है, वह लोग भी ऑक्सीजन की कमी के कारण कोमा में जा सकते हैं।
संक्रमण:
एनसेफेलिटिस (दिमागी बुखार) या मेनिनजाइटिस से दिमाग, रीढ़ की हड्डी या दिमाग के आसपास वाले ऊतकों में सूजन हो जाती है। इन संक्रमणों के गंभीर मामलों से मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है या व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
दौरे:
दौरा पड़ने के कारण व्यक्ति कोमा में जा सकता है।
विषाक्त पदार्थ: विषाक्त पदार्थों जैसे – कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon monoxide) या लेड (Lead) के संपर्क में आने से मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है और व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
शराब पीना या ड्रग्स लेना: शराब व ड्रग्स के अधिक सेवन से व्यक्ति कोमा में जा सकता है।
कोमा के बचाव के उपाय – Prevention of Coma
कोमा में जाने से कैसे बचा जा सकता है ?
बीमारी या चोट के कारण व्यक्ति कोमा में जा सकता है। इसका बचाव निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –
किसी बीमारी के कारण कोमा में जाने से बचने के लिए अपना ख्याल रखें और बीमारी की जटिलताओं से बचें। जैसे – शुगर के कारण कोमा में जाने से बचने के लिए अपनी दवाएं समय पर लें और शुगर के स्तर को संतुलित रखें।
चोट के कारण कोमा में जाने से बचने के लिए ऐसी स्थितियों से बचें जिनसे आपका चोट लगने का जोखिम बढ़ सकता है।
कोमा में जाने का सबसे आम कारण है सड़क हादसे। इसीलिए यातायात के नियमों का पालन करें और सुरक्षा के नियमों का भी ध्यान रखें।
अवैध ड्रग्स का सेवन न करें। इनके अधिक सेवन से मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है।
कोमा का निदान – Diagnosis of Coma
कोमा की जांच कैसे की जाती है?
कोमा में व्यक्ति बोल नहीं पाता और अन्य तरीकों से भी खुद को व्यक्त नहीं कर पाता है। इसके निदान के लिए डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों की जांच करते हैं। वे ऐसे लक्षणों की भी जांच करते हैं जिनसे व्यक्ति के कोमा में जाने की वजह पता चल सके। डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएं, केमिस्ट के पास मिलने वाली दवाएं और अवैध नशे वाले ड्रग्स लेना भी कोमा का कारण हो सकता है। इसीलिए डॉक्टर व्यक्ति के दोस्तों और परिवार के सदस्यों से उसके कोमा में जाने की वजहों के साथ-साथ हाल ही में हुए व्यक्ति की जिंदगी के बदलावों, चिकित्सा इतिहास और ड्रग्स के प्रयोग के बारे में भी पूछेंगे।
आपका एक शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है जिसमें डॉक्टर निम्नलिखित जाँच करते हैं –
शरीर की इंद्रियां किसी भी चीज के प्रति किस तरह प्रतिक्रियाएं देती है
सांस लेने के तरीके की जांच
त्वचा पर चोट के कारण लगे निशानों की जांच
दर्द होने पर रोगी की प्रतिक्रिया की जांच
आँखों की पुतली के माप की जांच
डॉक्टर, व्यक्ति की जागरूकता की जांच करने के लिए एक उपकरण का प्रयोग करते हैं जिसे ग्लास्गो कोमा स्केल (Glasgow Coma Scale) कहा जाता है। यह तीन चीजों की जांच करता है और प्रतिक्रया के अनुसार अंक देता है, जो इस प्रकार है:
आंखों का खुलना: 1 का अर्थ है आंख नहीं खुल रही है और 4 का अर्थ है आंख अपने आप खुल रही है। आदेशों की मौखिक प्रतिक्रिया: 1 का अर्थ है कोई प्रतिक्रिया नहीं और 5 का अर्थ है व्यक्ति सचेत है और बोल रहा है।
आदेशों की स्वेच्छापूर्वक प्रतिक्रियाएं: 1 का अर्थ है व्यक्ति कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है और 6 का अर्थ है व्यक्ति आदेशों का पालन कर रहा है। ज़्यादातर कोमा वाले व्यक्तियों के कुल अंक आठ या उससे कम होंगे। कम अंक का मतलब है व्यक्ति को दिमाग में गंभीर चोट आई है और उसके ठीक होने की सम्भावना कम है।
ब्लड टेस्ट और अन्य प्रयोगशाला परीक्षणों का उपयोग निम्नलिखित की जांच करने के लिए किया जाता है –
पूर्ण रक्त परीक्षण (कम्पलीट ब्लड काउंट)
थायराइड और लिवर के कार्य
इलेक्ट्रोलाइट का स्तर
कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता (Carbon monoxide poisoning)
ड्रग्स का अधिक प्रयोग
शराब का अधिक सेवन
तंत्रिका तंत्र के संक्रमण
मस्तिष्क की तस्वीर लेने, मस्तिष्क की चोट की जगह का पता लगाने, मस्तिष्क में रक्त स्त्राव (Brain hemorrhage), ट्यूमर या स्ट्रोक का पता लगाने के लिए निम्नलिखित परीक्षणों का उपयोग किया जाता है –
सीटी स्कैन (CT Scan) – ये स्कैन एक्स-रे का प्रयोग कर के मस्तिष्क की तस्वीर बनाता है।
एमआरआई (MRI) – ये स्कैन रेडियो तरंगों और चुम्बकीय तरंगों का उपयोग कर के मस्तिष्क को देखते हैं।
ईसीजी (ECG) – ये स्कैन मस्तिष्क की विद्युतीय क्रियाओं (Elactrical activity) को देखता है।
कोमा के जोखिम और जटिलताएं – Coma Risks & Complications
कोमा में जाने की क्या जटिलताएं होती हैं ?
हालांकि ज्यादातर लोग कोमा से बाहर आ जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। कुछ लोगों को कोमा से निकलने के बाद छोटी या बड़ी असमर्थता हो सकती हैं। कोमा कुछ समय के लिए ही रहता है, उस दौरान व्यक्ति होश में आने लगता है या वह बेहोशी के अलग चरण में चला जाता है जिसे “वेजेटेटिव स्टेट” (Vegetative state) या “मिनिमली कॉन्शियस स्टेट” (Minimally conscious state) कहा जाता है।
वेजेटेटिव स्टेट: इस स्थिति में व्यक्ति बेहोश नहीं होता है परन्तु उसे अपने आसपास की गतिविधियों का पता नहीं होता है।
मिनिमली कॉन्शियस स्टेट: इस स्थिति में व्यक्ति कभी सचेत होता है और कभी नहीं।
कोमा में जाने से संबंधित अन्य समस्याएं निम्नलिखित हैं:
दबाव के कारण होने वाले छाले
मूत्राशय के संक्रमण
पैरों में खून के थक्के