गुर्दे का संक्रमण – Kidney Infection
गुर्दे का संक्रमण क्या है?
गुर्दे का संक्रमण (पाइलोनेफ्रिटिस: Pyelonephritis) एक विशिष्ट प्रकार का मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) है जो आमतौर पर आपके मूत्रमार्ग या मूत्राशय से शुरू होता है और आपके गुर्दे तक जाता है।
किडनी इन्फेक्शन के लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। यदि ठीक तरह से इलाज नहीं किया जाए, तो गुर्दे का संक्रमण आपके गुर्दे को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है या बैक्टीरिया आपके खून में फैल सकता है जिससे जानलेवा संक्रमण हो सकता है।
गुर्दे के संक्रमण के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल शामिल है और अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण – Kidney Infection Symptoms
गुर्दे का संक्रमण के कारण और जोखिम कारक – Kidney Infection Causes & Risk Factors
किडनी इन्फेक्शन से बचाव – Prevention of Kidney Infection
किडनी इन्फेक्शन का परिक्षण – Diagnosis of Kidney Infection
गुर्दे का संक्रमण का इलाज – Kidney Infection Treatment
गुर्दे का संक्रमण की जटिलताएं – Kidney Infection Complications
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण – Kidney Infection Symptoms
गुर्दे के संक्रमण के लक्षण क्या हैं ?
गुर्दे के संक्रमण के निम्नलिखित लक्षण होते हैं –
बुखार।
ठंड लगना।
पीछे की ओर, एक तरफ या पेट और जांध के बीच के भाग में दर्द होना।
पेट दर्द।
बार-बार पेशाब आना।
पेशाब करने के दौरान जलन या दर्द होना।
मतली और उल्टी।
मूत्र में मवाद या रक्त आना।
मूत्र में बदबू आना या धुंधला मूत्र आना।
गुर्दे का संक्रमण के कारण और जोखिम कारक – Kidney Infection Causes & Risk Factors
गुर्दे में संक्रमण क्यों होता है?
गुर्दे के संक्रमण के निम्नलिखित कारण होते हैं –
जब आपके मूत्र पथ की नली में बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं और गुणन करते हैं व गुर्दों तक पहुंच जाते हैं, तो आपको गुर्दे का संक्रमण हो सकता है। यह कारण गुर्दे के संक्रमण का सबसे आम कारण होता है।
शरीर में कहीं और जगह का संक्रमण रक्तप्रवाह के माध्यम से आपके गुर्दे तक फैल सकता है। यद्यपि इस तरह से गुर्दे का संक्रमण होना असामान्य है लेकिन यह हो सकता है। उदाहरण के लिए – यदि आपने कृत्रिम जोड़ या हृदय में वाल्व लगवाया है जो संक्रमित हो जाता है।
किडनी की सर्जरी के बाद, गुर्दे के संक्रमण होने की सम्भावना कम होती है।
गुर्दे के संक्रमण के जोखिम कारक क्या होते हैं ?
गुर्दे के संक्रमण के खतरे को बढ़ाने वाले कारक निम्नलिखित हैं –
महिलाएं – महिलाओं में मूत्रमार्ग पुरुषों की तुलना में छोटा होता है, जो बैक्टीरिया को से शरीर के बाहर से मूत्राशय तक जाने के लिए आसान बनाता है। मूत्राशय में प्रवेश करने से, संक्रमण गुर्दे में फैल सकता है। गर्भवती महिलाएं गुर्दे संबंधी संक्रमण के उच्च जोखिम में होती हैं।
प्रतिरक्षण प्रणाली कमज़ोर होना – ऐसी चिकित्सा स्थितियां जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को खराब करती हैं, जैसे शुगर (मधुमेह) और एचआईवी। कुछ दवाएं, जैसे प्रत्यारोपित अंगों की अस्वीकृति को रोकने के लिए ली गई दवाओं का भी समान प्रभाव पड़ता है।
मूत्राशय के आसपास नसों की क्षति – नसों या रीढ़ की हड्डी की क्षति, मूत्राशय के संक्रमण की उत्तेजना को रोक सकते हैं जिससे आप यह महसूस नहीं कर पाते हैं कि यह कब गुर्दे का संक्रमण बन जाता है।
मूत्र कैथेटर (Catheter) का उपयोग करना – मूत्र कैथेटर मूत्राशय से मूत्र निकालने के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूब होती हैं। कुछ सर्जरी और नैदानिक परीक्षणों के दौरान और उसके बाद आपको कैथेटर का उपयोग करना पड़ सकता है। यदि आप बिस्तर पर हैं, तो आपको लगातार इसका उपयोग करना पड़ सकता है।
एक ऐसी स्थिति जिसमें मूत्र का गलत प्रवाह होता है – वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स (vesicoureteral reflux) में, मूत्राशय से मूत्र की एक छोटी मात्रा वापस मूत्रवाहिनी और गुर्दे में जाने लगती है। ऐसी स्थिति वाले लोग बचपन और वयस्कता के दौरान गुर्दे के संक्रमण के उच्च जोखिम पर होते हैं।
किडनी इन्फेक्शन से बचाव – Prevention of Kidney Infection
गुर्दे के संक्रमण से कैसे बच सकते हैं?
गुर्दे के संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –
तरल पदार्थ पिएँ, विशेष रूप से पानी। तरल पदार्थ के सेवन से आपके शरीर से बैक्टीरिया पेशाब के माध्यम से निकल जाते हैं।
ज़्यादा पेशाब करें। जब आपको पेशाब की उत्तेजना हो, तो पेशाब करने में देरी न करें।
यौन सम्बन्ध बनाने के बाद पेशाब करें। सम्भोग के बाद जितनी जल्दी हो सके पेशाब करें जिससे मूत्रमार्ग से बैक्टीरिया निकल सके और संक्रमण का खतरा कम हो।
पेशाब या मल त्याग करने के बाद अपने अंगों को ठीक से धोएं जिससे बैक्टीरिया मूत्रमार्ग तक न फ़ैल सके।
जानांग में डिओडरंट स्प्रे या ऐसे अन्य उत्पादों के प्रयोग से मूत्रमार्ग में संक्रमण हो सकता है।
किडनी इन्फेक्शन का परिक्षण – Diagnosis of Kidney Infection
गुर्दे के संक्रमण का परिक्षण कैसे होता है ?
लक्षणों के बारे में पूछने के बाद, आपके डॉक्टर पेशाब की निम्नलिखित जाँच कर सकते हैं –
पेशाब में रक्त, मवाद और बैक्टीरिया की जांच के लिए मूत्र विश्लेषण।
बैक्टीरिया के प्रकार को देखने के लिए यूरीन कल्चर परीक्षण।
आपके डॉक्टर इन परीक्षणों का उपयोग भी कर सकते हैं –
अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन
आपके मूत्र पथ में रुकावट की जांच के लिए आमतौर पर अल्ट्रासाउंड टेस्ट या सीटी स्कैन किया जाता है यदि उपचार पहले 3 दिनों में काम नहीं करता।
वायडिंग सिस्टोस्टोयुरेथ्रोग्राम (वीसीयूजी) [Voiding cystourethrogram (VCUG)]
मूत्रमार्ग और मूत्राशय में समस्याओं के निदान के लिए वीसीयूजी एक्स-रे का एक प्रकार है। इन्हें अक्सर उन बच्चों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स (vesicoureteral reflux) है।
डिजिटल रेक्टल परीक्षण (पुरुषों के लिए) (Digital rectal exam)
इस परीक्षण में आपके डॉक्टर प्रोस्टेट की सूजन की जांच करने के लिए आपके गुदा में उंगली डालकर जाँच करते हैं।
डाइमरकैपसोसकसीनिक एसिड (डीएमएसए) सिनटिग्राफी (Dimercaptosuccinic acid scintigraphy)
यह एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है जो किडनी के संक्रमण और नुक्सान को बेहतर देखने के लिए रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करता है।
गुर्दे का संक्रमण का इलाज – Kidney Infection Treatment
गुर्दे के संक्रमण का इलाज कैसे होता है?
किडनी इन्फेक्शन के निम्नलिखित उपचार हैं –
एंटीबायोटिक्स
गुर्दे के संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे पहला उपचार होता है। दवा का प्रकार और उपयोग आपके स्वास्थ्य और आपके मूत्र परीक्षण में पाए गए बैक्टीरिया के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर, गुर्दे के संक्रमण के लक्षण कुछ दिनों के उपचार के भीतर ठीक होने लगते हैं। लेकिन आपको एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई पूरी अवधि के
लिए एंटीबायोटिक दवाइयां लें।
गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती
यदि आपके गुर्दे का संक्रमण गंभीर है, तो आपके डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती कर सकते हैं। अस्पताल में उपचार के लिए आपको एंटीबायोटिक्स और तरल पदार्थ दिए जा सकते हैं। आम तौर से ये आपको आपकी बांह में
एक शिरा के माध्यम से दिए जाते हैं।
बार-बार होने वाले किडनी इन्फेक्शन के लिए उपचार
एक अंतर्निहित चिकित्सा समस्या से आपको गुर्दे का संक्रमण बार-बार हो सकता है। ऐसी स्थिति में, आपको जाँच के लिए एक किडनी विशेषज्ञ या मूत्र सर्जन (मूत्र रोग विशेषज्ञ) के पास भेजा जा सकता है। संरचनात्मक असामान्यता के उपचार लिए आपको सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
गुर्दे का संक्रमण की जटिलताएं – Kidney Infection Complications
गुर्दे के संक्रमण से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
यदि उपचार न किया जाए, तो गर्दे के संक्रमण से संभावित गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे – किडनी की स्थायी क्षति – किडनी की स्थायी क्षति से गुर्दे की बीमारी हो सकती है।
रक्त विषाक्तता (सेप्टीसीमिया: Septicemia) – आपके गुर्दे आपके खून से गंदगी को हटाकर खून को शरीर के बाकी हिस्सों में संचारित करते हैं। यदि आपको गुर्दे का संक्रमण है, तो बैक्टीरिया फैल सकता है क्योंकि गुर्दे रक्त परिसंचरण करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याएं – जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गुर्दे का संक्रमण होता है, वह कम वज़न के बच्चों को जन्म देने के जोखिम मे होती हैं।
किडनी में दर्द – Kidney pain
आपकी किडनी आपके पेट के पिछले हिस्से में पसली के नीचे, रीढ़ के दोनों ओर स्थित होती है. किडनी का दर्द उन गंभीर दर्दों में से एक है जिसे आप अनुभव कर सकते हैं. अगर आपके बाजू में या पीठ के मध्य से ऊपरी हिस्से में दर्द हो रहा है, तो यह किडनी में दर्द की की समस्या हो सकती है. हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि आपकी किडनी खराब हो चुकी है. पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और किडनी में संक्रमण ऐसे अहम कारण हैं जिनकी वजह से किडनी में दर्द होता है. वहीं किडनी में दर्द का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किन कारणों से किडनी में दर्द हो रहा है.
बहुत बार यह देखा गया है की किडनी के दर्द के साथ पीठ के केवल एक तरफ दर्द महसूस होता है. अगर दोनों किडनी प्रभावित हैं, तो दर्द दोनों तरफ होगा. किडनी शरीर के आवश्यक रसायनों और पानी का संतुलन बनाए रखने का काम करती है. अच्छी तरह से काम करने पर, वे शरीर की ज़रूरतों को पूरा करती है और शरीर उस चीज़ से छुटकारा पा लेते हैं जिसकी उसे ज़रूरत नहीं है.
किडनी में दर्द के लक्षण-
पेशाब में खून आना
बुखार और ठंड लगना
लगातार पेशाब आना
दस्त और उल्टी
दर्द जो आपकी कमर तक फैलता है
पेशाब करते समय दर्द या जलन होना
बुखार आना
मूत्र में रक्त या प्रोटीन का आना
हाथों और पैरों की सूजन और आंखों के आसपास सूजन
किडनी में दर्द के कारण – Kidney pain causes
किडनी में दर्द क्यों होता है?
किडनी में रक्त के थक्के होना, स्टोन, रक्तस्राव, संक्रमण, पीकेडी और यूरिन इंफेक्शन कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं, जिससे आपको किडनी में दर्द हो सकता है. आइए विस्तार से जानते हैं किडनी दर्द के क्या कारण हो सकते हैं –
किडनी में संक्रमण
किडनी यानी गुर्दे में संक्रमण फैलने की वजह से भी आपकी किडनी में दर्द हो सकता है. जब बैक्टीरिया आपकी किडनी में प्रवेश करता है, तो यह संक्रमण का कारण बन सकता है. किडनी संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया आमतौर पर आपके मूत्र पथ के द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं. किडनी में संक्रमण एक समय में एक किडनी या फिर आपके दोनों किडनी को प्रभावित कर सकता है. किडनी के संक्रमण का जल्द से जल्द इलाज करना बहुत जरूरी है. किडनी के संक्रमण का अगर समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो इससे आपकी किडनी खराब हो सकती है. साथ ही इसकी वजह से शरीर के अन्य हिस्से भी प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए इस समस्या का समय पर इलाज बेहद जरूरी है.
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज एक अनुवांशिक बीमारी है. इसका मतलब है कि यह जीन में होने वाली समस्याओं की वजह से होता है. किडनी के अंदर सिस्ट बढ़ने की वजह से व्यक्ति को पीकेडी हो सकता है. सिस्ट बड़े होने पर यह शरीर के ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज की चपेट में आ सकता है. पीकेडी क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का कारण बनता है, जिसमें व्यक्ति की किडनी भी फेल हो सकती है.
पीकेडी दो प्रकार के होते हैं, ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी और ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी. ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी सिर्फ किडनी में सिस्ट बढ़ने की वजह से होता है. वहीं, ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी किडनी और लीवर दोनों में सिस्ट बढ़ने की वजह से हो सकता है.
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन आपके यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में होने वाला इन्फेक्शन है. इसकी वजह से आपकी किडनी, यूरेटर्स, ब्लैडर और यूरेथ्रा प्रभावित हो सकते है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई होने का खतरा अधिक होता है. यह समस्या काफी दर्दनाक हो सकती है. वहीं, अगर यूटीआई की समस्या किडनी में फैलती है, तो यह गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकती है.
इन समस्याओं के अलावा गुर्दे में रक्त के थक्के होना, किडनी स्टोन और किडनी में रक्तस्राव की वजह से भी आपकी किडनी में दर्द हो सकता है. इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है. ताकि समय पर आपका इलाज शुरू किया जा सके.
किडनी में दर्द का उपचार – Kidney pain treatment
किडनी में दर्द का इलाज कैसे होता है?
किडनी में दर्द का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किन कारणों से किडनी में दर्द हो रहा है. अगर आपके शरीर में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर आपको यूरिन टेस्ट की सलाह दे सकता है. वहीं, आपकी किडनी में दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए आपको अल्ट्रासाउंड या फिर सीटी स्कैन करवाने की भी सलाह दे सकते हैं. इन परीक्षण के जरिए किडनी में दर्द का कारण पता लगाकर डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं, जैसे –
किडनी इन्फेक्शन का इलाज
किडनी के संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. किडनी में संक्रमण होने पर डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवा लेने के की सलाह दे सकते हैं. एंटीबायोटिक की दवा सबसे सामान्य मरीज को दी जाती है. इसके बाद जब परीक्षण में संक्रमण की जांच होती है, तो संक्रमण के प्रकार के आधार पर आपको डॉक्टर कुछ अलग-अलग एंटीबायोटिक दवाइयां दे सकता है. वहीं, अगर आपकी स्थिति काफी गंभीर है, तो डॉक्टर हॉस्पिटल में एडमिट होने की भी सलाह दे सकता है.
इतना ही नहीं अगर किडनी में संक्रमण आपके मूत्र पथ के आकार या फिर किसी समस्या की वजह से हुआ है, तो इसे भविष्य में रोकने के लिए डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की भी सलाह दे सकता है.
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज का इलाज
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की गंभीरता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है. यहां तक कि एक ही परिवार के सदस्यों में भी इसकी गंभीरता अलग-अलग हो सकती है. अक्सर पीकेडी से ग्रसित 55 से 65 वर्ष की आयु के रोगियों में गुर्दे की बीमारी अंतिम चरण तक पहुंच जाते हैं. हालांकि पीकेडी वाले कुछ मरीजों में इसके हल्के लक्षण भी दिखते हैं. ऐसे में इन लक्षणों को पहचान कर समय पर इलाज करके पीकेडी के अंतिम चरण तक पहुंचने से रोका जा सकता है. पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के उपचार में लक्षणों और इसकी जटिलताओं को कम करके प्रारंभिक अवस्था में इसका इलाज करने की कोशिश की जाती है.
यूटीआई का इलाज
डॉक्टर आमतौर पर यूटीआई का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए करते हैं. साथ ही आपको अधिक पानी पीने की सलाह दी जा सकती है.
सारांश – Summary
किडनी में संक्रमण, पीकेडी, यूरिन इंफेक्शन कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं, जिससे आपको किडनी में दर्द हो सकता है. इस तरह की समस्याओं का खुद से इलाज न करें बल्कि किन कारणों से किडनी में दर्द हो रहा है उसको जानने की कोशिश करें और डॉक्टर से सलाह दें.
गुर्दे की पथरी – Kidney Stone
गुर्दे की पथरी क्या है?
गुर्दे की पथरी (किडनी स्टोन) मिनरल्स और नमक से बनी एक ठोस जमावट होती है। उनका माप रेत के दाने जितना छोटा से लेकर गोल्फ की गेंद जितना बड़ा हो सकता है।
किडनी स्टोन को सबसे दर्दनाक चिकित्सक अवस्था में से एक माना जाता है। गुर्दे की पथरी आपके मूत्र पथ के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है – आपके गुर्दे से आपके मूत्राशय (ब्लैडर) तक।
जब तक पथरी किडनी में स्थिर रहती है, इसके कोई लक्षण नहीं होते। एक बार जब यह किडनी से निकल कर युरेटर में आ जाती है, लक्षण तब शुरू होते हैं, जैसे बहुत तेज दर्द।
आहार, वजन ज्यादा होना, कुछ बीमारियां और कुछ दवाएं गुर्दे की पथरी के कई कारणों में से हैं।
किडनी स्टोन को पारित करना काफी दर्दनाक हो सकता है, लेकिन आमतौर पर पत्थरी का कोई स्थायी नुकसान नहीं होता है यदि समय पर इनकी पहचाने कर ली जाए। आपकी स्थिति के आधार पर, आपको गुर्दे की पथरी को पारित करने के लिए केवल बहुत सारा पानी पीने के अलावा और कुछ करने की जरुरत नहीं पड़ती (आपको पेन किलर दिए जा सकते हैं)। अन्य मामलों में, सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
पथरी (किडनी स्टोन) के लक्षण – Kidney Stone Symptoms
पथरी (किडनी स्टोन) के कारण – Kidney Stone Causes
पथरी (किडनी स्टोन) से बचाव – Prevention of Kidney Stone
पथरी (किडनी स्टोन) का परीक्षण – Diagnosis of Kidney Stone
पथरी (किडनी स्टोन) का इलाज – Kidney Stone Treatment
पथरी (किडनी स्टोन) से होने वाली समस्याएं – Kidney Stone Complications
पथरी (किडनी स्टोन) के प्रकार – Types of Kidney Stone
पथरी (किडनी स्टोन) के लक्षण – Kidney Stone Symptoms
पथरी की पहचान कैसे करें?
किडनी स्टोन के लक्षण तब तक नहीं होते जब तक वे किडनी के अंदर स्थिर रहते हैं। जब यह गुर्दे के अंदर हिलने लगते हैं या युरेटर (किडनी और ब्लैडर को जोड़ने वाली ट्यूब) में चले जाते हैं, लक्षण तब होते हैं। यदि स्टोन युरेटर में फंस जाएं, तो वह यूरिन के फ्लो को रोक सकते हैं जिससे गुर्दे फूलने लगते हैं और युरेटर में ऐंठन हो सकती है, जो बहुत दर्दनाक होता है।
एक बार जब स्थिति यहां तक पहुंच जाए, तो यह लक्षण हो सकते हैं:
पसलियों के नीचे, साइड में और पीठ में गंभीर, तेज दर्द
दर्द जो पेट के निहले हिस्से और जनांग तक फैलने लगे
दर्द जो रह-रह कर होता है और कभी हल्का कभी गंभीर होता है
पेशाब करने में दर्द या जलन होना
अन्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
गुलाबी, लाल या भूरे रंग का यूरिन
पेशाब में बदबू आना
लगातार यूरिन करने की आवश्यकता, सामान्य से अधिक बार यूरिन करना या एक बार में यूरिन कम आना
मतली और उल्टी
यदि कोई संक्रमण है तो बुखार और ठंड लगना
जैसे-जैसे पथरी यूरिनरी ट्रैक्ट (मूत्र पथ) में आगे बढ़ती है, पथरी का दर्द उसके साथ-साथ बदल सकता है – उदाहरण के लिए, एक अलग स्थान पर हो सकता है या ज्यादा गंभीर हो सकता है।
पथरी (किडनी स्टोन) के कारण – Kidney Stone Causes
गुर्दे की पथरी होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं –
आनुवंशिकता
कुछ लोगों को आनुवंशिकता के कारण गुर्दे की पथरी होने की संभावनाएं ज़्यादा होती हैं। गुर्दे की पथरी कैल्शियम के अधिक स्तर के कारण होती सकती है। मूत्र में कैल्शियम का उच्च स्तर पीढ़ी दर पीढ़ी पारित हो सकता है। कुछ दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियां भी गुर्दे की पथरी का कारण बन सकती हैं जैसे ट्यूबलर एसिडोसिस या शरीर के कुछ रसायनों को पचाने में समस्याएं जैसे सिस्टीन (एक एमिनो एसिड), ऑक्सलेट (एक कार्बनिक एसिड का नमक) और यूरिक एसिड व अन्य रसायन।
भौगोलिक स्थान
आपकी रहने की जगह भी आपको गुर्दे की पथरी होने की ज़िम्मेदार हो सकती है। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के हिस्सों में गुर्दे की पथरी की समस्या काफी प्रचलित है। गर्म जलवायु के क्षेत्र में रहना और अपर्याप्त द्रव सेवन करना पथरी होने का कारण हो सकता है।
आहार
यादी कोई व्यक्ति पथरी के गठन के प्रति अतिसंवेदनशील होता है, उसे तो पशु प्रोटीन और नमक से उच्च जोखिम हो सकता है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति पथरी के गठन के लिए अतिसंवेदनशील नहीं है तो संभवतः आहार से उन्हें कोई जोखिम नहीं होता।
दवाएं
ड्यूरेटिक्स और ज़्यादा कैल्शियम वाले एंटासिड लेने वाले लोगों के मूत्र में कैल्शियम का स्तर ज्यादा हो सकता है जिससे पथरी का गठन भी हो सकता है। विटामिन ए और विटामिन डी से भी कैल्शियम का स्तर बढ़ सकता है। एचआईवी के उपचार के लिए इंडिनवीर दवा से इंडिनवीर पथरी का गठन हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ दवाएं पथरी के गठन का कारन बन सकती हैं।
अंतर्निहित बीमारियां
कुछ पुरानी बीमारियां गुर्दे की पथरी के निर्माण से संबंधित होती हैं जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis), रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस (renal tubular acidosis) और इंफ्लेमेट्री बाउल रोग (inflammatory bowel disease)।
गुर्दे की पथरी के जोखिम कारक –
30 से 50 वर्ष कि आयु के पुरुषों को गुर्दे की पथरी होने की संभावना अधिक होती है।
कम एस्ट्रोजन स्तर वाली महिलाओं और जिन महिलाओं के अंडाशय निकले हुए हैं उन्हें गुर्दे की पथरी होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
गुर्दे की पथरी का पारिवारिक इतिहास आपको पथरी होने का जोखिम बढ़ा सकता है।
गुर्दे की पथरी का इतिहास होना भी इसके जोखिम को बढ़ता है।
निर्जलीकरण।
मोटापा।
उच्च प्रोटीन, नमक, या ग्लूकोज़ वाले आहार का सेवन।
हायपरपरथायरॉयडिज़्म स्थिति होना (रक्त प्रवाह में पैराथाइरॉइड हार्मोन का ज़्यादा होना)।
गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी।
कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाने वाले इन्फ्लेमेट्री बाउल रोग।
ड्यूरेटिक्स, दौरों को रोकने वाली दवाएं और कैल्शियम-आधारित एंटासिड्स लेना।
पथरी (किडनी स्टोन) से बचाव – Prevention of Kidney Stone
गुर्दे की पथरी से बचने के उपाय निम्नलिखित हैं –
अधिक मात्रा में पानी पिएं
पानी मूत्र में मौजूद उन पदार्थों को गलाता है जो पथरी पैदा करते हैं। प्रतिदिन इतना पानी पिएं जिससे आपको 2 लीटर मूत्र आए। नींबू पानी और संतरे का जूस जैसे कुछ खट्टे पेय पीने से भी आपको मदद मिल सकती है।
कैल्शियम लें
कम कैल्शियम लेने से ऑक्सलेट का स्तर बढ़ सकता है जिससे गुर्दे की पथरी हो सकती है। इसे रोकने के लिए अपनी उम्र के हिसाब से ज़रूरी कैल्शियम की मात्रा लें। खाद्य पदार्थों से कैल्शियम प्राप्त करने की कोशिश करें क्योंकि कैल्शियम के सप्लीमेंट्स लेने से भी पथरी हो सकती है।
सोडियम कम लें
डाइट में सोडियम ज्यादा होने से पथरी बन सकती है क्योंकि इससे यूरिन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाती है। इसीलिए गुर्दे की पथरी से बचने के लिए अपने आहार में सोडियम की मात्रा कम करें। वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार एक दिन में सोडियम 2,300 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यदि आपको पहले भी सोडियम से गुर्दे की पथरी हुई है तो सोडियम का दैनिक सेवन 1500 मिलीग्राम तक कम करने का प्रयास करें।
पशु प्रोटीन को सीमित करें
रेड मीट, मुर्गी, अंडे और समुद्री भोजन जैसे खाद्य पदार्थ खाने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है जिससे गुर्दे की पथरी हो सकती है। डाइट में प्रोटीन ज्यादा होने से साइट्रेट (मूत्र में मौजूद एक रसायन जो स्टोन के गठन को रोकता है) का स्तर भी कम होता है।
पथरी बनाने वाले खाद्य पदार्थ न लें
चुकंदर, चॉकलेट, पालक, चाय और अधिकांश मेवों में ऑक्सलेट होता है और कोला में फॉस्फेट होता है जो दोनों ही पथरी का गठन करते हैं। यदि आप पथरी की समस्या से पीड़ित हैं तो आपका डॉक्टर आपको इन खाद्य पदार्थों से बचने या इन्हें कम मात्रा में लेने की सलाह दे सकते हैं।
पथरी (किडनी स्टोन) का परीक्षण – Diagnosis of Kidney Stone
गुर्दे की पथरी का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है –
ब्लड टेस्ट
रक्त परीक्षण आपके रक्त में अधिक कैल्शियम या यूरिक एसिड की जाँच करता है। रक्त परीक्षण के परिणाम आपके गुर्दे के स्वास्थ्य और अन्य चिकित्सकीय स्थितियों की जांच के लिए सहायक है।
यूरिन टेस्ट
24-घंटे का मूत्र संग्रह परीक्षण यह दिखा सकता है कि आप आपके मूत्र में बहुत सारे पथरी बनाने वाले खनिज हैं या पथरी के गठन को रोकने वाले पदार्थ कम हैं। इस परीक्षण के लिए, आपके डॉक्टर आपको लगातार दो दिनों के लिए दो मूत्र संग्रहण करने के लिए कह सकते हैं।
इमेजिंग टेस्ट
इमेजिंग परीक्षण आपके मूत्र-पथ में गुर्दे की पथरी दिखा सकते हैं। इमेजिंग टेस्ट में शामिल हैं – पेट का एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक नॉन-इन्वेसिव टेस्ट और इन्ट्रावीनस यूरोग्राफी (जिसमें एक हाथ की नस में डाई वाला इंजेक्शन लगाया जाता है और एक्स-रे या सीटी स्कैन की छवियां आपके गुर्दे और मूत्राशय से पथरी का पता चलता है)।
पारित पथरी का विश्लेषण
पथरी को प्राप्त करने के लिए आपको एक झरनी के माध्यम से पेशाब करने के लिए कहा जा सकता है। लैब विश्लेषण आपके गुर्दे की पथरी के होने की वजह बता सकता है और आपके चिकित्सक इस जानकारी का उपयोग करके और गुर्दे की पथरी के गठन को रोकने के लिए एक योजना बना सकते हैं।
पथरी (किडनी स्टोन) का इलाज – Kidney Stone Treatment
किडनी स्टोन का इलाज करने के तरीके निम्नलिखित हैं –
दवाएं
दर्द से राहत में मादक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। संक्रमण की उपस्थिति का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है। अन्य दवाएं हैं –
एलोप्यूरिनॉल (यूरिक-एसिड स्टोन के लिए)
ड्यूरेटिक दवाएं
सोडियम बाइकार्बोनेट (सोडियम साइट्रेट के लिए)
फास्फोरस घोल
लिथोट्रिप्सी
एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी बड़ी पथरी को तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करती है ताकि वे आपकी मूत्रवाहिनी से मूत्राशय में जा सके। यह प्रक्रिया असहज हो सकती है और इसमें एनेस्थीसिया की आवश्यकता हो सकती है। इससे पेट के निचले हिस्से और पीठ पर नील हो सकते हैं और गुर्दे व के अंगों के चारों ओर खून का रिसाव हो सकता है।
परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी
परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी में पथरी को आपकी पीठ में एक छोटे से चीरे के माध्यम से हटाया जाता है और ये तब आवश्यक हो सकती है जब –
पथरी बाधा और संक्रमण करती है या गुर्दों को नुकसान पहुंचती है।
पथरी इतनी बड़ी हो गयी है कि पारित नहीं की जा सकती।
दर्द को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
यूरेटेरोस्कोपी
जब पथरी आपकी मूत्रवाहिनी या मूत्राशय में फंस जाती है तो आपके डॉक्टर एक उपकरण का उपयोग कर सकते हैं जिसे यूरेट्रोस्कोप कहा जाता है। इसमें एक छोटी सी तार जिस पर कैमरा लगा होता है, मूत्रमार्ग में डाला जाता है जो मूत्राशय में जाता है। पथरी को निकलने के लिए एक छोटे से पिंजरे का उपयोग किया जाता है और विश्लेषण के लिए स्टोन प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
पथरी (किडनी स्टोन) से होने वाली समस्याएं – Kidney Stone Complications
पथरी हमेशा गुर्दे में नहीं रहती हैं, कभी-कभी वे गुर्दे से मूत्रवाहिनी में चली जाती हैं। मूत्रवाहिनी छोटी और नाज़ुक होती है जिससे पथरी पारित होने में कठिनाई होती है। मूत्रवाहिनी में पथरी के पारित होने से ऐंठन और मूत्र में खून आना हो सकते हैं।
कभी-कभी पथरी मूत्र के प्रवाह को रोक देती है। इसे एक मूत्र बाधा कहा जाता है जिससे गुर्दे का संक्रमण और गुर्दे की क्षति हो सकती है।
पथरी (किडनी स्टोन) के प्रकार – Types of Kidney Stone
किडनी स्टोन के चार प्रकार हैं:
कैल्शियम स्टोन (Calcium Stone)
कैल्शियम स्टोन किडनी स्टोन का सबसे आम प्रकार है। वे कैल्शियम ऑक्सलेट (सबसे आम), फॉस्फेट, या मेलिएट से बने हो सकते हैं। कम ऑक्सलेट युक्त खाद्य पदार्थ खाने से इस प्रकार के स्टोन के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। आलू के चिप्स, मूंगफली, चॉकलेट, चुकंदर और पालक में ऑक्सलेट की मात्रा अधिक होती है।
यूरिक एसिड स्टोन (Uric Acid Stone)
इस प्रकार की किडनी की पथरी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है। यह गाउट की समस्या से पीड़ित लोग या किमोथेरेपी से गुज़र रहे लोगों को होने की सम्भावना ज़्यादा है। इस प्रकार की पथरी तब होती है जब मूत्र में एसिड की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। प्यूरीन से समृद्ध आहार मूत्र के एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं। प्यूरिन एक बेरंग पदार्थ होता है जो पशु प्रोटीन में मौजूद होता है जैसे मछली, शेलफिश और मांस।
स्ट्रूवाइट स्टोन (Struvite Stone)
इस प्रकार की पथरी ज्यादातर मूत्र-पथ के संक्रमण से ग्रस्त महिलाओं में पाई जाती है। ये स्टोन बड़े हो सकते हैं और मूत्र में बाधा पैदा कर सकते हैं। ये स्टोन गुर्दे के संक्रमण के कारण होते हैं। बुनियादी संक्रमण का इलाज स्ट्रूवाइट स्टोन के विकास को रोक सकता है।
सिस्टीन स्टोन (Cystine Stone)
सिस्टीन स्टोन के मामले बहुत कम होते हैं। यह उन पुरुषों और महिलाओं में होते हैं जिन्हें अनुवांशिक विकार सिस्टीनुरिया (genetic disorder cystinuria; एक अनुवांशिक विकार जिसमें अमीनो एसिड सिस्टीन द्वारा बनने वाले स्टोन गुर्दे, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय में बनते हैं) है। इस प्रकार की पथरी में, सिस्टीन (एक एसिड जो शरीर में स्वाभाविक रूप से होता है) का रिसाव किडनी से मूत्र में होता है।